8TH SEMESTER ! भाग- 43 ( Turning Point )
"चल मूत के आते है..."जब हम तीनो क्लास से बाहर निकल आए तब नवीन ने कहा....
"मैं नही जाऊंगा... मेरे बदले अरमान.. तु कर लेना .."अरुण बोला....
"तुम दोनो यहीं खड़े रहो ,मैं अभी आया... कुछ इलेक्शन रिलेटेड काम आ गया है..."
"मैं भी चलता हूँ..."अरुण बोला...
लेकिन मैं नही माना और अरुण को नवीन के साथ रुकने के लिए बोलकर वहाँ से निकल गया. जिसके बाद मेरी गाड़ी जाकर सीधे कंप्यूटर लैब मे रुकी, जहाँ दीपिका मैम अपनी टांगे फैलाये किए हुए कम्यूटर पर शायद पोर्न देख रही थी...........
रिसेस मे दीपिका मैम के पास जाने की बात कुछ और थी और अभी की बात कुछ और....क्या पता अंदर क्या हो रहा हो, कौन-कौन अंदर हो और किस पोज़िशन मे... 😁 उपर से मैं ठहरा शरीफ लड़का....कंप्यूटर लैब का गेट खुला था तो इसके हिसाब से अंदर का टेंपरेचर नॉर्मल होना चाहिए. फिर भी दीपू मैम का कोई भरोषा नही.. क्या पता किसका ले रही हो या फिर किसको दे रही हो.. इसलिए मै पहले अंदर झाँका... मेरा अंदाज़ा सही था, अंदर का टेंपरेचर बिल्कुल नॉर्मल था....दीपिका मैम पीसी पर बैठी माउस को इधर उधर कर रही थी और मेरे अंदर झांकते ही उन्हें जैसे अहसास हो गया कि गेट पर कोई है और उन्होंने अपनी नज़रें घुमा कर तुरंत मुझे देखा.....
"एक बार ये इसके साथ सम्पूर्ण क्रिया हो जाए तो मज़ा ही आ जाए....आअहहहहह.. दीपू "दीपिका मैम के सेक्सी होंठो को देखकर मेरे अरमान उछल पड़े, जिसे शांत करते हुए मैने दीपिका मैम से अंदर आने की पर्मिशन माँगी....
"अरमान, तुम...इस वक़्त...? अभी तो hod सर की क्लास है ना..."
"भगा दिया उन्होने..."अंदर आते हुए मैने मुस्कुराया
"अब क्या कर दिया...?."मुझे अपने सामने वाली चेयर पर बैठने का इशारा करते हुए उन्होंने पुछा....
"इस बार कुछ नही किया, इसीलिए भगा दिया....वैसे भी आपकी याद आ रही थी... रहा नही गया, आपको देखे बिना तो चला आया "
"अच्छा ये बताओ..."माउस पर से हाथ हटाकर उसने एक हाथ को अपने सर पर टिकाया और उंगलिया होंठो पर फिराते हुए बोली"तुम्हारे 12th मे कितना परसेंटेज थे...?."
यही एक ऐसा सवाल था, जिसका आन्सर देने के लिए मैं हमेशा तैयार रहता था, लेकिन उस वक़्त मुझे ये नही मालूम था कि यही सवाल मेरी ज़िंदगी का आख़िरी सवाल बन जाएगा, जिसका आन्सर मैं बाद मे देना चाहूँगा....
"93.60 % " मैने जवाब दिया....
"क्या...???"अपने सर को दूसरे हाथ से टिकाते हुए वो बोली"सच बोलो..."
"इंटरनेट चल रहा है क्या..."
"यस,..."
"216328075 ये मेरा रोल नंबर है , रिज़ल्ट चेक कर लो...."
"ओके ,लीव...."तिरछि नज़र से मेरे पैंट की तरफ देखते हुए वो पूछी "तुम यहाँ क्या सोचकर आए थे..."
"मैं यहाँ कंप्यूटर पर स्नेक गेम खेलने आया था..."
"वो गेम तुम अभी नही खेल सकते..."उसने एक बार फिर अपना हाथ बदला और बोली"अंदर कॅबिन मे एक सर बैठे हुए है..."
"धत्त तेरी की...."मैं बड़बड़ाया
"अब जाओ,वरना....."मेरी तरफ अपना चेहरा करके वो बोली...
"वरना..."मैने भी अपना चेहरा उसकी तरफ किया...
"वरना, तुम मुझे कभी छु भी नही पाओगे और असाइनमेंट फिर से दे दूँगी..."
दीपिका मैम की बात सुनकर मैं इस कदर हड़बड़ाया की चेयर से बस नीचे गिरने वाला था ,वो हंस पड़ी और मुझे एक बार फिर वहाँ से जाने के लिए कहा... मैने एक बार उनके गुलाबी होंठ और मदहोश कर देनी वाली जिस्म का दीदार किया और वहाँ से मायूस कदमो से बाहर निकला और मै अभी बाहर ही निकला था कि सामने से विभा मुझे लैब की तरफ आती हुई दिखाई दी.. ..मुझे वहाँ CS लैब के बाहर देखकर उसके बढ़ते कदम एका -एक रुक गये...
"सुनने मे आया है कि तुमने अपना बॉय फ्रेंड चेंज कर दिया..."जब मै विभा के पास पंहुचा तो धीरे से बोला
"बॉय फ्रेंड चेंज नही किया, सिर्फ़ पुराने को छोड़ा है...अभी मैं बिल्कुल अकेली हूँ..."
"मुझे बना लो, अपना बाय्फ्रेंड..."
"Behave yourself.... और तुममे ऐसी क्या खास बात है, बडी बडी बाते करने के सिवा...."
इतना कहने तक हम दोनो वहाँ बीच रास्ते से हटकर थोड़ा किनारे आ गये, क्लासेस चल रही थी इसलिए कोई उधर आए ये मुश्किल ही था.....
"खास बात का क्या मतलब...? Ms. V...? वरुण मे ऐसी क्या खास बात थी, जो वो आपका बॉयफ्रेंड था...? और वैसे भी मुझसे काबिल बाय्फ्रेंड पूरे कॉलेज मे नही मिलेगा...."
"रियली..."
"101 % ,सच है...."
वो अब शांत हो गयी और अपना मुँह बंद करके मुझे देखती रही, वैसे लड़की कभी चुप हो जाए.... ये नही होता लेकिन उस वक़्त ऐसा ही कुछ हो रहा था ,वो एकदम से चुप होकर जैसे मुझे चेक कर रही थी मैं उसका बाय्फ्रेंड बनने लायक हूँ या नही....
"तुम्हारी उम्र कम है....सॉरी "
"इसने तो सच मे सोचना शुरू कर दिया... लोल " अंदर ही अंदर खुद को शाबाशी देते हुए मैं बोला"मैं मज़ाक कर रहा था, अब चलता हूँ, मेरे दोस्त इंतेज़ार कर रहे होंगे मेरा...."
वो भला क्यूँ रोकती मुझे, उसने अपना सर हिलाकर मुझे जाने के लिए कहा और मैं वहाँ से निकला.... सीढ़िया चढ़ते हुए मेरा मोबाइल वाइब्रट होने लगा.....कॉल अनजान नंबर से थी
"अबे अरमान, जल्दी आ जल्दी...चौक के पास सिदार को सिटी वालो ने घेर लिया है...जल्दी आ...और जितने लड़के मिले ,उन सबको बुला लेना...."कॉल रिसीव करते ही एक चीखती हुई आवाज़ मेरे कानो को फाड़ गयी....
मैं कुछ देर तक सन्न वही खड़ा रहा, मैं वाहा खड़े रहकर यही सोचता रहा कि ये सच था या कोई मेरे साथ मज़ाक कर रहा है....? क्या सच मे सिदार को वरुण और उसके दोस्तो ने घेर लिया है या फिर वो लोग मुझे घेरने के प्लान मे है....? जो भी हो मुझे एक बार कॉलेज के मेन गेट के पास वाले चौक के पास तो जाना ही था, मैने दौड़ते हुए बाकी बची सीढ़िया पार की और नवीन से उसकी बाइक की चाबी लेकर अरुण के साथ कॉलेज से बाहर निकला....
क्या होगा यदि उनलोगो ने सिदार का वही हाल कर दिया जो हमने वरुण और उसके दोस्तो का किया था...? क्या इज़्ज़त रह जाएगी हमारी कॉलेज मे...? और उपर से कुछ दिनो के बाद इलेक्शन भी होने वाला है.... यदि सिदार अभी मार खा गया तो इलेक्शन का पूरा रूख ही वरुण की तरफ मुड़ जायेगा... उस वक़्त बाइक चलाते हुए मेरे मन मे यही सब घूम रहा था, अरुण ने कयि बार मुझसे पूछा भी कि क्या हुआ है, मैं क्यूँ इतना हड़बड़ा रहा हूँ और मैं उसे कहाँ ले जा रहा हूँ....लेकिन मैने उसके एक भी सवाल का जवाब नही दिया और सीधे चौक पर जा पहुचा...हमारा कॉलेज आउटर एरिया मे था ,इसलिए उधर भीड़-भाड़ कम ही रहता था... लेकिन इस वक़्त वहाँ बहुत से लड़के जमा हुए थे और यदि मैं सही था तो वहाँ खड़े लड़को मे से अधिकतर लड़के सिटी वाले थे... मतलब फ़ोन वाली झूठी नही थी. हॉस्टल वालो को पहुचने मे अभी टाइम था....
मैने नवीन की बाइक चौक से कुछ दूरी पर ही रोक दी, जिसका कारण थी ऐश ..वो गौतम की कार उसी वक़्त वहाँ ना जाने कहाँ से पहुच गयी, जिसमे शायद ऐश भी होगी मैने अंदाज़ा लगाया......
"लौट जा अरमान, ऐश के सामने लड़ाई ,झगड़ा करने का मतलब है ,उससे दूरी....गौतम से तो उसका बचपन का प्यार है, इसलिए वो उससे जुड़ी हुई है...लेकिन यदि उसने आज तुझे गुंडागर्दी करते हुए देख लिया तो वो कभी तुझसे बात तक नही करेगी... दिल लगाने की बात तो बहुत दूर की बात है ."
"अबे बाइक आगे बढ़ा, वहाँ कुछ पंगा हो रहा है..."अरुण ने मुझे पकड़ कर हिलाते हुए बोला....
"सिदार को सिटी वालो ने घेर लिया है और हॉस्टल के लड़के आ रहे है...लेकिन तब तक सिदार मार खा जाएगा..."
"तो तू देख क्या रहा है, बाइक स्टार्ट कर और चढ़ा दे, सालो पर...माँ कसम यदि दूसरो के हक़ के लिए लड़ने वाले सिदार को कुछ हुआ तो, लानत है हमपर..."
उस वक़्त मुझे उसकी बात मान लेनी चाहिए थी, मुझे बाइक को फुल स्पीड करके आगे बढ़ाना चाहिए था, लेकिन जैसे मेरे हाथ जम गये थे , जिसकी सिर्फ़ एक वजह थी , वो वजह कार मे बैठी हुई ऐश थी...
"अबे बीसी ,बाइक आगे बढ़ा..."अरुण ने चिल्लाकर कहा...
"यार,वो ऐश कार मे बैठी है..."
"तो क्या..."मेरे खास दोस्त ने मुझे अजीब तरह से देखा, जैसे उसे यकीन ही ना हो रहा हो कि ये मैं कह रहा हूँ....
"तू जाएगा या नही..."अरुण चिल्लाया
"हम बहुत कम लोग है यार, पिट जाएँगे..."
"चल ठीक है..."बाइक से उतर कर अरुण बोला"मैं जा रहा हूँ, तू वापस जा...और कसम से कहता हूँ, आज के बाद तू मुझे रूम मे मत दिख जाना, वरना मर्डर हो जाएगा... या तो तेरा या मेरा...."आगे बढ़ते हुए अरुण ने कहा.....
Kaushalya Rani
26-Nov-2021 06:39 PM
Nice
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Barsha🖤👑
26-Nov-2021 05:41 PM
बहुत खूबसूरत भाग
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Mukesh Duhan
02-Sep-2021 03:27 PM
Behtarin
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